पितृदोष के लक्षण और दुर करने के उपाय (Pitrudosh)
पितृदोष यानी हमारे पूर्वजों का ठीक से श्राद्ध कर्म ना होने के कारण घर में आने वाली परेशानी।
पितृदोष है या नहीं ये जातक की कुंडली से भी पता किया जाता है।अगर कुंडली में सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु-केतु में से कोई एक ग्रह बैठा हो तो इसे पितृदोष कहा जाता है।
पितृदोष का प्रभाव:-
1 - जिस घर में किसी सदस्य को पितृदोष होता है उस घर में अक्सर कोई ना कोई बीमार रहता है।
2 - पितृदोष के कारण घर के बच्चों में हमेशा कलह होता हैष
3 - जहां पितृदोष होता है वहां संतान पैदा होने में विलंब होता है।
4 - बिजनेस में लाभ नहीं होता, उधारी बहुत ज्यादा होती है।
5 - इंसान के पैसे उधारी में डूब जाते हैं या बेकार कामों में खर्च हो जाते हैं।
पितृ दोष निवारक मन्त्र :
ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः !
ॐ प्रथम पितृ नारायणाय नमः !!
पितृ दोष दूर करने के उपाय:
1.कुंडली में पितृ दोष बन रहा हो तब जातक को घर की दक्षिण दिशा की दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों का फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाकर रोजाना उनकी स्तुति करनी चाहिए। उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
2. अपने स्वर्गीय परिजनों की तिथि पर जरूरतमंदों अथवा गुणी ब्राह्मणों को भोजन कराएं। भोजन में मृतात्मा की कम से कम एक पसंद का व्यंजन अवश्य बनाएं।
3.इसी दिन अगर हो सके तो अपने सामर्थ अनुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न आदि दान करने से भी यह दोष मिटता है।
4. पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल, पुष्प, अक्षत, दूध, गंगाजल, काले तिल चढ़ाएं और स्वर्गीय परिजनों का स्मरण कर उनसे आशीर्वाद मांगें।
5. शाम के समय में दीप जलाएं और नाग स्तोत्र, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्तोत्र व नवग्रह स्तोत्र का पाठ करें। इससे भी पितृ दोष की शांति होती है।
6. सोमवार प्रात:काल में स्नान कर नंगे पैर शिव मंदिर में जाकर आक के 21 पुष्प, कच्ची लस्सी, बिल्वपत्र के साथ शिवजी की पूजा करें। ऐसा 21 सोमवार करने से पितृदोष का प्रभाव कम होता है।
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8. प्रतिदिन इष्ट देवता व कुल देवता की पूजा करने से भी पितृ दोष का शमन होता है।
9. कुंडली में पितृदोष होने से किसी गरीब कन्या का विवाह या उसकी बीमारी में सहायता करने पर भी लाभ मिलता है।
10. ब्राह्मणों को प्रतीकात्मक गोदान, गर्मी में पानी पिलाने के लिए कुंए खुदवाएं या राहगीरों को शीतल जल पिलाने से भी पितृदोष से छुटकारा मिलता है।
11. पवित्र पीपल तथा बरगद के पेड़ लगाएं। विष्णु भगवान के मंत्र जाप, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करने से भी पित्तरों को शांति मिलती है और दोष में कमी आती है।
12 .पितरों के नाम पर गरीब विद्यार्थियों की मदद करने तथा दिवंगत परिजनों के नाम से अस्पताल, मंदिर, विद्यालय, धर्मशाला आदि का निर्माण करवाने से भी अत्यंत लाभ मिलता है।
अगर पितृदोष हो तो कई सारी समस्याएं आती हैं। इनकी शांति के लिए पितृदोष की पूजा होती है, जिसमें सभी जाने या अनजाने पितरों के लिए तर्पण-श्राद्ध किया जाता है। अगर आपके पास पूजा कराने के लिए समय या संसाधनों का अभाव हो तो आप कुछ छोटे-छोटे उपायों से अपने पितृदोष की शांति कर सकते हैं।
पितृ दोष का समाधान तथा शान्ति व्यक्ति को स्वंय को करनी चाहिये । पूजा -पाठ शान्ति के लिये योग्य ज्योतिषी की केवल सलाह ले सकते है।
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