अधिक मास में दान का बहुत महत्व है ! तिथि के हिसाब से क्या दान दे देखते हैं !
कृष्णा पक्ष का दान |
शुक्ल पक्ष का दान |
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प्रथमा (१ ) |
घी से भरा चांदी का दीपक |
प्रथमा |
माल पुआ |
द्वितीय (२ ) |
सोना या कांसे का पात्र |
द्वितीय |
खीर भरा पात्र |
तृतीया (३ ) |
कच्चे चने |
तृतीया |
दही |
चतुर्थी (४ ) |
खारेक |
चतुर्थी |
सूती वस्त्र |
पंचमी (५ ) |
गुड़, तुवर दाल |
पंचमी |
रेशमी वस्त्र |
षष्टी (६ ) |
लाल चंदन |
षष्टी |
ऊनी वस्त्र |
सप्तमी (७ ) |
मीठा रंग |
सप्तमी |
घी |
अष्टमी (८ ) |
कपुर, केवड़े की अगरबत्ती |
अष्टमी |
तिल |
नवमी (९ ) |
केसर |
नवमी |
गुड़ चावल |
दशमी (१० ) |
कस्तूरी |
दशमी |
गेहूं |
एकादशी (११ ) |
गोरेचन |
एकादशी |
दूध |
द्वादशी (१२ ) |
शंख |
द्वादशी |
कच्ची खिचड़ी |
त्रयोदशी (१३ ) |
गरूड़ घंटी |
त्रयोदशी |
शक्कर व शहद |
चतृर्दशी (१४ ) |
मोती या मोती की माला |
चतृर्दशी |
तांबे का पात्र |
पूनम (१५ ) |
हीरा या पन्ना का नग |
अमावस्या |
चांदी का नन्दीगण। |
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