चौसठ योगिनियों के नाम।
आदिशक्ति का सीधा सा सम्बन्ध है इस शब्द का जिसमे प्रकृति या ऐसी शक्ति का बोध होता जो उत्पन्न करने और पालन करने का दायित्व निभाती है |
जिसने भी इस शक्ति की शरणमें खुद को समर्पित कर दिया उसे फिर किसी प्रकार कि चिंता करने कि कोई आवश्यकता नहीं, वह परमानन्द हो जाता है |
चौसठ योगिनियां वस्तुतः माता आदिशक्ति कि सहायक शक्तियों के रूप में मानी जाती हैं।
जिनकी मदद से माता आदिशक्ति इस संसार का राज काज चलाती हैं एवं श्रृष्टि के अंत काल में ये मातृका शक्तियां वापस माँ आदिशक्ति में पुनः विलीन हो जाती हैं और सिर्फ माँ आदिशक्ति ही बचती हैं फिर से पुनर्निर्माण के लिए।
बहुत बार देखने में आता है कि लोग वर्गीकरण करने लग जाते हैं और उसी वर्गीकरण के आधार पर साधकगण अन्य साधकों को हीन - हेय दृष्टि से देखने लग जाते हैं क्योंकि उनकी नजर में उनके द्वारा पूजित रूप को वे मूल या प्रधान समझते हैं और अन्य को द्वितीय भाव से देखते हैं जबकि ऐसा उचित नहीं है हर साधक का दुसरे साधक के लिए सम भाव होना चाहिए |
किन्तु नैतिक दृष्टिकोण और अध्यात्मिकता के आधार पर यदि देखा जाये तो न तो कोई उच्च है न कोई हीन हम आराधना करते हैं तो कोई अहसान नहीं करते यह सिर्फ अपनी मानसिक शांति और संतुष्टि के लिए है और अगर कोई दूसरा करता है तो वह भी इसी उद्देश्य कि पूर्ती के लिए।
अब अगर हम अपने विषय पर आ जाएँ तो इस मृत्यु लोक में मातृ शक्ति के जितने भी रूप विदयमान हैं सब एक ही विराट महामाया आद्यशक्ति के अंग, भाग, रूप हैं साधकों को वे जिस रूप की साधना करते हैं उस रूप के लिए निर्धारित व्यवहार और गुणों के अनुरूप फल प्राप्त होता है।
चौसठ योगिनियां वस्तुतः माता दुर्गा कि सहायक शक्तियां है जो समय समय पर माता दुर्गा कि सहायक शक्तियों के रूप में काम करती हैं एवं दुसरे दृष्टिकोण से देखा जाये तो यह मातृका शक्तियां तंत्र भाव एवं शक्तियोंसे परिपूरित हैं और मुख्यतः तंत्र ज्ञानियों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र हैं।
(1)―बहुरूप,
(2)―तारा,
(3)―नर्मदा,
(4)―यमुना,
(5)―शांति,
(6)―वारुणी
(7)―क्षेमंकरी,
(8)―ऐन्द्री,
(9)―वाराही,
(10)―रणवीरा,
(11)―वानर-मुखी,
(12)―वैष्णवी,
(13)―कालरात्रि,
(14)―वैद्यरूपा,
(15)―चर्चिका,
(16)―बेतली,
(17)―छिन्नमस्तिका,
(18)―वृषवाहन,
(19)―ज्वाला कामिनी,
(20)―घटवार,
(21)―कराकाली,
(22)―सरस्वती,
(23)―बिरूपा,
(24)―कौवेरी,
(25)―भलुका,
(26)―नारसिंही,
(27)―बिरजा,
(28)―विकतांना,
(29)―महालक्ष्मी,
(30)―कौमारी,
(31)―महामाया,
(32)―रति,
(33)―करकरी,
(34)―सर्पश्या,
(35)―यक्षिणी,
(36)―विनायकी,
(37)―विंध्यवासिनी,
(38)―वीर कुमारी,
(39)―माहेश्वरी,
(40)―अम्बिका,
(41)―कामिनी,
(42)―घटाबरी,
(43)―स्तुती,
(44)―काली,
(45)―उमा,
(46)―नारायणी,
(47)―समुद्र,
(48)―ब्रह्मिनी,
(49)―ज्वाला मुखी,
(50)―आग्नेयी,
(51)―अदिति,
(52)―चन्द्रकान्ति,
(53)―वायुवेगा,
(54)―चामुण्डा,
(55)―मूरति,
(56)―गंगा,
(57)―धूमावती,
(58)―गांधार,
(59)―सर्व मंगला,
(60)―अजिता,
(61)―सूर्यपुत्री
(62)―वायु वीणा,
(63)―अघोर,
(64)―भद्रकाली।
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